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   श्री रामचंद्र जी की आरती

श्री रामचंद्र आरती 



रामनवमी की शुभकामनाए  राम नवमी

              श्री राम अवतार का पाठ 

भाए प्रगट कृपाल दिवस दयाला कौशल्या हितकारी। हर्षित महतारी मुनि मन हरि अदभुत रूप विचर ।।  

लोचन अभिराम तनु घनश्याम निजी अयूध भुजचर। भूषण बनमाला नयन विशाला शोभासिंधु खरारी ।। 

कह दुई कर जोरि अस्तुति तोरि केहिं विधि करौ अंतरता। मैया गुणनानतीता अमान वेद पुराण भानंता ।। 

करुना सुखसागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता। सो मम हितेजि जन अनुरागी भयउ प्रकट श्रीकंता ।। 

ब्रह्माण्ड निकाय निर्मित माया रोम -रोम प्रतिवेद कहे। मम उर सो वासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै ।। 

उपजा जब नारायण प्रभु मुशुकाना चरित बहुत विधि किन्हि चहै। कही कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ।। 

माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा। कीजै शिशुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा ।। 

सुनी बचन सुजाना रोदन ठाना होई बालक सुरभूपा। यह चरित जे गावहि हरि पद पावहिं ते न परहिं भुतूपा ।।


"अदौ राम तपोवनदी गमननं, हत्त्वा मृगं कांचनम् वैदेही हरणं जटायु मरणं, सुग्रीव सम्भाषणम्। बालीनिर्दलनं समुद्रतारणं, लंकापुरी दाहनं पश्चात् रावण- कुम्भकर्ण हननं  एतद्धि रामायणनं। 🙏


               स्तुति श्री रामचंद्र जी की


 श्री राम चन्द्र कृपालु भजुमन, हरन भवभय दरुणम्।

 नव कंज लोचन, कंज मुख कर कंज पद कंजारुनम, 

 श्री रामचंद्र कृपालु भुजमान ...।

 कंदर्प अग्नित अमित छवी, नव नील नीरद सुंदरम।

 पाट पीत मानहु तड़ीत रूचि-शुचि नौमी जनक सुतवारम् 

 श्री रामचंद्र कृपालु भुजमान ...।

 भजु दीनबंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।

 रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद्र दशरथ नंदनम 

 श्री रामचंद्र कृपालु भुजमान ...।

 सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदार अंग विभूषणम्।

 अर्जुनभुज आरंभ चाप-प्रलय संग्राम जित खर दूषणम ।। 

 श्री रामचंद्र कृपालु भुजमान ...।

 इति वदति तुलसीदास, शंकर शेष मुनि मन रंजनम।

 मम ह्रदय कंज निवास कुरु, कामादि खल दल गंजनम् 

 श्री रामचंद्र कृपालु भुजमान ...।

मनु जाहि राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सँवरो

 करुणा निधान सुजान सील सनेहु जानत रावरो ।। 

 श्री रामचंद्र कृपालु भुजमान ...।

 ऐहि भाँति गौरी असीस सिय हित हर्षित अली।

 तुलसी भवानीहि पूजि पुनि- पुनि मुदित मन मंदिर गया ।। 

 श्री रामचंद्र कृपालु भुजमान ...।


जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि। 

   मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे ।। 

                सियावर रामचंद्र की जय












Comments

  1. श्री राम चन्द्र की जय 🙏

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  2. 🙏🙏🙏 jai Shri Ram thanks to share it by blog after reading feel the peace of mind.. Be continue 👍happy Ram navami

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